कर्नाटक: कॉन्ग्रेस ने फाड़ी धर्मांतरण विरोधी बिल की प्रतियाँ, विरोध में विधानसभा से किया वॉकआउट

केरल, तमिलनाडु समेत दक्षिण भारत के लगभग सभी राज्यों में अवैध पंथ-परिवर्तन की घटनाएँ अब किसी से छिपी नहीं हैं। ईसाई मिशनरी द्वारा लोगों की कमज़ोर आर्थिक स्थिति का फायदा उठाकर मिशनरी भारी मात्रा में पंथ-परिवर्तन कराती हैं। इसी सिलसिले में कर्नाटक राज्य में एक लंबे समय से धर्मांतरण विरोधी बिल के माँग उठ रही थी इसी को देखते हुए मंगलवार को राज्य के गृहमंत्री अरगा ज्ञानेंद्र ने विधानसभा में बिल की प्रति प्रस्तुत की कर्नाटक व‍िधानसभा के पटल में मंगलवार को नया धर्मांतरण विरोधी विधेयक रखा गया है. ज‍िसको लेकर मंगलवार में सदन में विपक्ष ने हंगामा क‍िया. एक तरफ जहां कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने धर्मांतरण विरोधी विधेयक की कॉपी फाड़ी, तो वहीं पार्टी ने व‍िधेयक के व‍िरोध में सदन के अंदर वाकआउट क‍िया. जानकारों के मुताबि‍क कर्नाटक सरकार राज्‍य में ईसाई धर्मांतरण को रोकने के ल‍िए पुराने कानून को सख्‍त बनाने के उद्देश्य यह व‍िधेयक लेकर आई है।

कर्नाटक प्रोटेक्शन ऑफ राइट टू फ्रीडम ऑफ रिलिजन बिल 2021’ शीर्षक वाला यह व‍िधेयक आमतौर पर धर्मांतरण विरोधी बिल के रूप में जाना जाता है. इस वि‍धेयक के जर‍िए सरकार राज्‍य में धर्मांतरण के ख‍िलाफ लागू कानून को और सशक्‍त करने जा रही है. नए कानून में राज्‍य सरकार ने धर्मांतरण करवाने वालों को 10 साल तक की सजा सुनाई जा सकती है. वहीं नए कानून के तहत धर्मांतरण करवाने वालों पर पांच लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकेगा. इस व‍िधेयक को लेकर लंबे समय से कर्नाटक की राजनीत‍ि गर्मायी हुई हैं. कांग्रेस शुरू से ही व‍िधेयक का व‍िरोध कर रही है . तो वहीं भाजपा इस व‍िधेयक को प्राथम‍िकता के आधार पर कानूनी मान्‍यता द‍िलाने के ल‍िए जुटी हुई है. व‍िशेषज्ञों के मुताब‍िक इस व‍िधेयक के जर‍िए भाजपा राज्‍य में अपना जनाधार मजबूत करने का प्रयास कर रही है.
पहले के कानून प्रवधान में क्या था: कर्नाटक राज्‍य में मौजूदा समय में धर्मांतरण विरोधी कानून प्रभावी है. पुराने कानून के तहत राज्‍य में धर्मांतरण को बढावा और धर्मांतरण कराने के दोष‍ियों को राज्‍य के कानून के तहत तीन साल तक की सजा का प्रावधान है, जबक‍ि कानून के तहत दोष‍ियों पर 50 हजार तक का जुर्माना लगाया जा सकता है ।
अब 10 वर्षों तक जेल, लाख रुपए जुर्माना
बता दें कि इस बिल में उन लोगों के लिए सज़ा का प्रावधान रखा गया है जो भारी मात्रा में अवैध पंथ परिवर्तन कराते हैं। इस बिल में प्रावधान है कि इस प्रकार के कृत्य करने वालों को 3 से 10 वर्षों की जेल और ₹1 लाख का जुर्माना हो सकता है।
इसके साथ ही अगर कोई अनुसूचित जाति (SC) से आने वाला व्यक्ति अल्पसंख्यक समुदाय के पंथ में परिवर्तित होता है तो वह कई सरकारी योजनाओं जैसे कि आरक्षण तक खो सकता है।
अगर कोई व्यक्ति अपनी मर्ज़ी से पंथ परिवर्तन करना चाहता है तो उसे जिलाधिकारी को उसकी सूचना लगभग एक महीना पहले देनी होगी। अलग पंथ में शादी को लेकर बिल में लिखा गया है कि अगर शादी केवल पंथ परिवर्तन कराने की मंशा से की जाती है, तो इसे मान्य नहीं माना जाएगा।
विपक्षी दल कॉन्ग्रेस के साथ-साथ कई ईसाई समूह भी इस बिल को एकतरफा बता रहे हैं।
इस मामले में बिशप डेरेक फर्नांडिस ने कहा:“मैं सरकार को चेतावनी देता हूँ कि वे ध्यान से रहें। अगर यह बिल लाया जाता है तो गॉड उनका साथ नहीं देगा।”

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