नहीं रहीं महाराष्ट्र की ‘मदर टेरेसा’, दिल का दौरा पड़ने से पुणे में 74 साल की उम्र में निधन

सिंधुताई को महाराष्ट्र की मदर टेरेसा कहा जाता है। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी अनाथ बच्चों की सेवा में गुजार दी। उन्हेंने लगभग 1400 अनाथ बच्चों को गोद लिया और इस नेक काम के लिए उन्हें प्रतिष्ठित पद्मश्री समेत कई अन्य पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है।
सामाजिक कार्यकर्ता और पद्मश्री सम्मानित सिंधुताई सपकाल हमारे बीच नहीं रही। पुणे में 74 साल की उम्र में सिंधुताई का मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। सिंधुताई ने पुणे के ग्लैक्सी अस्पताल में मंगलवार को अंतिम सांस ली। अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर शैलेश पुतांबेकर ने बताया कि वह पिछले डेढ महीने से अस्पताल में भर्ती थीं, जिसके बाद मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।
जानकारी के मुताबिक कुछ वक्त पहले ही उनका एक ऑपरेशन हुआ था, जिसके बाद वो अस्पताल में भर्ती थीं। सिंधुताई के निधन पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शोक व्यक्त किया है। गडकरी ने दुख व्यक्त करते हुए लिखा कि “वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता और ‘अनाथों की मां’ के नाम से मशहूर सिंधुताई सपकाल के निधन की खबर सामने आई।

उन्हें मेरी भावभीनी श्रद्धांजलि। पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित सिंधुताई ने कई कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए हजारों अनाथों की देखभाल की। समाज के लिए उनका योगदान बहुत बड़ा है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।”


आपका बता दें कि सिंधुताई को महाराष्ट्र की ‘मदर टेरेसा’ भी कहा जाता है। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी अनाथ बच्चों की सेवा में निकाल दी। सिंधुताई ने करीब 1400 से ज्यादा अनाथ बच्चों को गोद लिया और पढ़ा-लिखाकर काबिल इंसान बनाया, जिनमें से कई लोग आज खुद का अनाथालय चलाते हैं। उनको इस नेक कार्य के लिए देश के प्रतिष्ठित पद्मश्री समेत कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।

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