मजहबी कट्टरपंथियों ने होलिका दहन के दिन ढाका स्थित इस्कॉन मंदिर पर भीषण हमला बोल दिया जिसमें मंदिर को नुकसान पहुंचा और कई हिन्दू श्रद्धालुओं को चोटें आईं ।
बांग्लादेश में नवरात्र पर जिस प्रकार मजहबी उन्मादियों ने वहां स्थित इस्कॉन मंदिर सहित अन्य मंदिरों को जिहादी आग में जलाया था अब होली के अवसर पर वही उन्माद फिर दिखाई दिया। मजहबी कट्टरपंथियों ने होलिका दहन के दिन ढाका स्थित इस्कॉन मंदिर पर भीषण हमला बोल दिया जिसमें मंदिर को नुकसान पहुंचा और कई हिन्दू श्रद्धालुओं को चोटें आईं। इस घटना पर इस्कॉन इंडिया के उपाध्यक्ष श्री राधारमण दास ने तीखे शब्दों में अपनी नाराजगी व्यक्त की है।
श्री राधारमण दास ने मंदिर पर उन्मादी हमले पर दुख व्यक्त करते हुए सीधे संयुक्त राष्ट्र से सवाल किया है कि अंतरराष्ट्रीय संगठन संयुक्त राष्ट्र इस घटना पर मुंह क्यों सिले हुए है।
उल्लेखनीय है कि होलिका दहन के दिन यानी बीते गुरुवार को करीब 200 मजहबी उन्मादियों की भीड़ ढाका के इस्कॉन मंदिर पर टूट पड़ी थी। उन्मादियों ने वहां सब तहस—नहस कर दिया और श्रद्धालुओं को हिंसा का शिकार बनाया। अनेक हिन्दू घायल हुए और मंदिर में बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ की गई।
इस भीषण जिहादी हमले से इस्कॉन इंडिया के उपाध्यक्ष श्री राधारमण दास सहित सभी भक्त बेहद आहत हैं। श्री दास ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए ट्वीट पर संयुक्त राष्ट्र से सवाल पूछा है कि वह इस घटना पर चुप क्यों है।
श्री राधारमण दास का ट्वीट
श्री दास ने ट्वीट में लिखा है कि ‘हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए 15 मार्च को अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित करने वाला प्रस्ताव पारित किया है। इसके बावजूद हैरानी की बात है कि वही संयुक्त राष्ट्र हजारों असहाय बांग्लादेशी तथा पाकिस्तानी अल्पसंख्यकों की पीड़ा पर चुप्पी साधे बैठा है’।
उन्होंने अपना आक्रोष जताते हुए लिखा कि ‘डोल यात्रा तथा होली उत्सव की पूर्व संध्या पर ऐसी घटना होना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। हैरानी की बात है कि संयुक्त राष्ट्र हजारों असहाय बांग्लादेशी तथा पाकिस्तानी अल्पसंख्यकों के दर्द पर मुंह सिले हुए है। इन देशों में बड़ी संख्या में हिंदू अल्पसंख्यकों ने अपनी जान, संपत्ति खोई है, परन्तु अफसोस की बात है कि संयुक्त राष्ट्र चुप्पी ओढ़े है।
श्री दास ने आगे लिखा है कि ‘हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए 15 मार्च को अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित करने वाला प्रस्ताव पारित किया है। इसके बावजूद हैरानी की बात है कि वही संयुक्त राष्ट्र हजारों असहाय बांग्लादेशी तथा पाकिस्तानी अल्पसंख्यकों की पीड़ा पर चुप्पी साधे बैठा है’।
यहां याद दिला दें कि गत वर्ष भी बांग्लादेश के कोमिला में नानूर दिघी झील के पास एक दुर्गा पूजा पंडाल में कुरान को कथित तौर पर अपवित्र किए जाने की खबर फैलाई गई और फिर सुनियोजित तरीके से हिन्दुओं और उनके मंदिरों को हिंसा का शिकार बनाया गया था। उससे पहले ढाका के टीपू सुल्तान रोड और चटगांव के कोतवाली क्षेत्र में भी कुछ ऐसी ही घटनाएं देखने में आई थीं। तब भी संयुक्त राष्ट्र की तरफ से इन हिंसक घटनाओं पर कोई बयान जारी नहीं किया गया था।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक अधिकारों को समर्पित संस्था ‘एकेएस’ ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि बीते 9 साल में बांग्लादेश में हिंदुओं पर लगभग 4000 बार हमले किए जा चुके हैं। इनमें से तो 1678 हमले तो सिर्फ हिन्दू धर्म से नफरत के चलते हुए थे। इनके अलावा हिन्दुओं पर अन्य तरह अत्याचारों की घटनाएं देखने में आती रही हैं।
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