लम्भुआ /सुल्तानपुर: गंगा दशहरा पर लोगो ने लिए गोमती नदी के किनारे धोपाप धाम में ली आस्था की डुबकी

सुल्तानपुर लम्भुआ:प्रसिद्ध पौराणिक स्थल धोपाप धाम स्थित जनश्रुतियों के अनुसार त्रेता युग में भगवान राम को रावण वध के उपरांत ब्रह्महत्या का पाप लगा था। इससे मुक्ति पाने के लिए ऋषियों के सुझाव पर इसी स्थान पर उन्होंने स्नान कर पाप से मुक्ति पाई थी। यहां आने वाले श्रद्धालु अन्न दान, पिड दान एवं गोदान कर पुण्य अर्जित करते हैं।
आसपास के क्षेत्रों के अलावा कई जिलों और राज्यों के श्रद्धालु पापों से मुक्ति पाने के लिए यहां स्नान और दर्शन करने को आते हैं। गंगा दशहरा पर यहां नव दंपतियों का स्नान नहीं होता है।
धोपाप धाम में गंगा दशहरा पर्व पर लाखों श्रद्धालु गोमती नदी में आस्था की डुबकी लगाते हैं। भगवान राम जानकी मंदिर में विधिवत पूजन अर्चन करते हैं। गंगा दशहरा पर्व पर धोपाप धाम में देश के कोने-कोने व आसपास के क्षेत्रों के अलावा तमाम जिलों से श्रद्धालु पापों से मुक्ति पाने को आते हैं। यहां श्रद्धालु गोदान अन्नदान व पिंडदान कर धर्म-कर्म में आस्था जताते हैं।
कुछ लोग श्रद्धालु के लिए रस्ते में पानी फल की भी बेवस्था किये है गर्मी से रहत मिले
काफी लोग गंगा दशहरा पर्व पर धाम में बच्चों का मुंडन संस्कार भी कराते हैं।
धोपाप जनपद मुख्यालय से 22 किलोमीटर पूरब दिशा में लंभुआ तहसील मुख्यालय से उत्तर दिशा में करीब आठ किलोमीटर दूरी पर स्थित है। लंभुआ तहसील मुख्यालय से दियरा रोड पर धाम में जाने के लिए प्राइवेट साधन उपलब्ध रहते हैं। लोग अपने साधनों से भी धाम में आसानी से पहुंच सकते हैं।

जन कथाओं के अनुसार त्रेतायुग में भगवान राम को रावण बध के उपरांत ब्रह्महत्या का पाप लगा था। इससे मुक्ति पाने को ऋषियों के सुझाव पर इसी स्थान पर भगवान राम ने स्नान करके ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति पाई थी। आज भी यह स्थान रामघाट के नाम से जाना जाता है। तब से इस स्थान का नाम धोपाप पड़ गया। वामन शिवराम आप्टे के संस्कृत शब्दकोश में दूधपाप शब्द का उल्लेख आया है। भारत के भौगोलिक शब्द को अंग्रेजी के गजेटियर में भी उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिला अंतर्गत धोपाप तीर्थ स्थल का उल्लेख है। लगभग 25 वर्षों पूर्व प्रकाशित प्रदेश सरकार की डिस्ट्रिक गजेटियर के संपादक व आईएएस अधिकारी दंगाली प्रसाद वरुण ने धोपाप के विषय में ऐतिहासिक सामग्री दी है।
श्रीराम ने लंका विजय से लौटने के बाद धोपाप में स्नान कर रावण की हत्या से लगे ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति पाई थी।
फिर राम ने दीपदान किया था। इसी स्थान पर भगवान राम ने दीपदान किया था। कालांतर में उसे दियरा कहा जाने लगा। दियरा के निकट ही राम ने शयन किया था। उसे हरसेन कहते हैं। गजेटियर के अनुसार धोपाप में एक प्राचीन नगर और दो किलों के अवशेष मौजूद है।
Subscribe to jagruti samachar YouTube Channel
Visit Jaagruti samachar website
Follow us on Facebook
Follow us o twitter
Follow us on Instagram

[ays_slider id=1]

इसे भी पढे ----

वोट जरूर करें

उत्तर प्रदेश मे इस बार किसकी होगी सत्ता

View Results

Loading ... Loading ...

आज का राशिफल देखें 

[avatar]