सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना के शिंदे और ठाकरे गुट की याचिकाओं पर सुनवाई अब 8 अगस्त की बजाए 12 अगस्त को हो पाएगी.यानी मंत्रिमंडल का विस्तार भी अब और लटक जाएगा.
महाराष्ट्र में सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस को शपथ ग्रहण किए हुए 37 दिन गुजर चुके हैं लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार अब तक नहीं हो पाया है. इस पर विपक्ष लगातार यह कटाक्ष कर रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में शिंदे गुट के 16 विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया गया और मंत्रिमंडल विस्तार में उन विधायकों को मंत्री बनाया गया तो शिंदे सरकार के लिए अजीब स्थिति पैदा हो जाएगी. इसलिए शिंदे गुट सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहा है.लेकिन शिंदे और ठाकरे से जुड़ी सुनवाई अब 8 अगस्त को होने की संभावना बेहद कम है.
विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि असली शिवसेना किसकी? यह फैसला अब जल्दी नहीं हो पाएगा. 8 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के सामने और भी कई अहम सुनवाई के केस हैं. ऐसे में ज्यादा संभावना यही है कि शिवसेना के चुनाव चिन्ह पर किसका हक, यह सवाल और शिवसेना की बाकी चार याचिकाओं और शिंदे गुट की याचिका पर सुनवाई अब 8 अगस्त की बजाए 12 अगस्त को हो पाएगी.
उद्धव गुट का यह है दावा, जो अलग हो गए उनका पार्टी पर कोई हक नहीं
उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि जो शिंदे गुट में गए 16 विधायक हैं उन्होंने पार्टी के नियमों का उल्लंघन किया है. इसलिए उनकी विधायकी रद्द की जाए. शिवसेना का तर्क है कि पार्टी के अंदर कोई गुट अचानक अलग खड़े होकर यह तय नहीं कर सकता कि पार्टी किसकी है? जो गुट अलग हुआ है, वो अलग हो चुका है. उसका शिवसेना पर अब कोई अधिकार नहीं है. उनके पास एक ही रास्ता है कि वो किसी अन्य पार्टी में अपने गुट का विलय करें. शिवसेना पर कब्जा जमाने की कोशिश ना करें.
शिंदे गुट का दावा, हम ही असली शिवसेना क्योंकि हमारे पास बहुमत
लेकिन शिंदे गुट का दावा है कि वे शिवसेना से अलग नहीं हुए हैं. वे बालासाहेब के विचारों पर चलने वाले लोग हैं. बल्कि उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिलाकर हिंदुत्व को छोड़ दिया और बालासाहेब के विचारों को छोड़ दिया. शिंदे गुट का दावा है कि उन्होंने शिवसेना में रह कर बस नेतृत्व को चुनौती दी है. उनके पास विधायकों और सांसदों का बहुमत है. और जिसके पास बहुमत है, वही नेतृत्व संभाल सकता है.
जब तक कोर्ट का फैसला नहीं आएगा, मंत्रिमंडल विस्तार नहीं हो पाएगा
दरअसल जब तक कोर्ट का फैसला नहीं आएगा, मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पाएगा. यह बात अब करीब-करीब साफ होती जा रही है. यही वजह है कि सीएम शिंदे विपक्ष के हमलों की धार को कम करने के लिए रोज, ‘जल्दी होगा, जल्दी होगा मंत्रिमंडल विस्तार बिलकुल करीब है…’ जैसी बातें दोहरा कर चकमा दे रहे हैं. जबकि सच्चाई यह है कि यह उनको भी पता है कि मंत्रिमंडल का विस्तार जल्दी नहीं होने वाला है तभी उन्होंने शनिवार को मंत्रियों के अधिकार संबंधित विभागों के सचिवों को सौंप दिए, ताकि काम ना रुके.
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