आतंक के लिए किया जाता है हलाल से मिले रुपए का इस्तेमाल

एमएनएस नेताओं और कार्यकर्ताओं का तर्क है कि हलाल मीट की कमाई टेरर फंडिंग के लिए इस्तेमाल में लाई जा रही है और झटका मीट को बाजार से हटा कर हिंदुओं का रोजगार छीना जा रहा है.

 

मस्जिदों से लाउडस्पीकर उतारने के मुद्दे के बाद अब राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने हलाल मीट के इस्तेमाल का मुद्दा उठाया है. एमएनएस जल्दी ही हलाल मीट के खिलाफ मुहिम शुरू करने वाली है. एमएनएस कार्यकर्ता लोगों को झटका मीट की मांग और इस्तेमाल करने के लिए जागरुक करेंगे. एमएनएस ने इसकी वजह यह बताई है कि हलाल मीट से होने वाली कमाई को टेरर फंडिंग के लिए लगाया जाता है जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा है.

एमएनएस का तर्क यह है कि हिंदू, सिक्ख और ईसाई जब झटका मीट का उपभोग करते हैं तो उन्हें इस्लामिक तरीके से काटे गए हलाल मीट को खाने के लिए मजबूर क्यों किया जाए? हलाल मीट की बजाए झटका मीट के इस्तेमाल के लिए जागरुक करने की इस मुहिम के पीछे एक मकसद मीट के व्यवसाय में हिंदुओं के वाल्मीकि और खटीक समाज के लोगों को उनके व्यापार के लिए बराबरी का हक दिलाना है जो हलाल मीट बाजार के दबदबे की वजह से उन्हें नहीं मिल पा रहा है. एमएसएस की दलील है कि जब देश में सिर्फ 15 फीसदी मुसलमान हैं तो वे बाकी 85 फीसदी समाज के लोगों को इस्लामिक तरीके से काटे गए मांस को खाने के लिए मजबूर कैसे कर सकते हैं?

‘हलाल और झटका मीट नहीं है सिर्फ धार्मिक मुद्दा, देश की सुरक्षा से जुड़ा’

एमएनएस उपाध्यक्ष यशवंत किलेदार का इस बारे में कहना है, ‘हलाल और झटका वध के तरीकों का मुद्दा सिर्फ धार्मिक नहीं है. यह मुद्दा देश की सुरक्षा से जुड़ा है. इससे होने वाली कमाई को आतंकी कार्रवाई में शामिल रहे आरोपियों के केसेस लड़ने में इस्तेमाल में लाया जाता है. इसलिए इस मुद्दे पर जनता को जागरुक करने के लिए जल्दी ही एक मुहिम शुरू की जाएगा. अरब देशों में है हलाल मीट की डिमांड, इसलिए हलाल किया जाता है. लेकिन देश के लोगों को हलाल मीट खाने की जबर्दस्ती क्यों?’

‘भारत में इस्लामिक अर्थव्यवस्था हो रही तैयार, हिंदू समाज का छिन रहा रोजगार’

राज ठाकरे की पार्टी के उपाध्यक्ष का कहना है कि मीट के व्यवसाय में इस्लामिक तरीके का इस्तेमाल बढ़ा कर देश में इस्लामिक अर्थव्यवस्था का आधार तैयार किया जा रहा है. यह समस्या आगे चलकर विकराल हो सकती है. कच्चे मीट के लिए हलाल इस्तेमाल किये जानेवाले सर्टिफिकेशन अब मैकडॉनल्ड्स,केएफसी, अन्य फास्ट फूड, कॉस्मेटिक्स,आयुर्वेदिक मेडिसिन, हॉस्पिटल और अन्य कंपनियां ले रही हैं. यानी एक तरह से इस्लामिक अर्थव्यवस्था भारत में बन रही है. हलाल की वजह से हिंदू खटीक वाल्मीकि समाज को रोजी रोटी नहीं मिल पा रही है. इस व्यापार पर एक ही धर्म के लोगों का कब्जा होता जा रहा है.

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