अंधेरी पूर्व उपचुनाव में शिंदे-उद्धव गुट दोनों को EC द्वारा नहीं मिली ‘धनुष और तीर’ के उपयोग करने की अनुमति जनिए क्यों SC का भी विकल्प नहीं बचा

EC द्वारा शिवसेना चुनाव चिन्ह को फ्रीज किए जाने से खास कर ठाकरे गुट को झटका लगा है.क्योंकि ठाकरे गुट अंधेरी विधानसभा उपचुनाव में उम्मीदवार उतार रहा है.
केंद्रीय चुनाव आयोग ने शिवसेना चुनाव चिन्ह फ्रीज कर दिया है. केंद्रीय चुनाव आयोग ने यह फैसला आगामी अंधेरी विधानसभा उपचुनाव को ध्यान में रखकर तत्काल के लिए दिया है. यानी दोनों गुटों द्वारा पेश किए गए कागजात की छानबीन में वक्त लगेगा, इसलिए अंतिम फैसला तुरंत संभव नहीं है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय चुनाव आयोग ने ना सिर्फ चुनाव चिन्ह धनुषबाण को फ्रीज किया है बल्कि उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट को शिवसेना के नाम का इस्तेमाल करने से भी रोक दिया है.

अब सोमवार को दोनों गुट तीन-तीन विकल्पों में से कोई एक नया चुनाव चिन्ह चुन सकेंगे. ‘शिवसेना’ नाम का इस्तेमाल ये दोनों गुट नहीं कर पाएंगे. हालांकि इससे मिलते-जुलते नाम रखने की छूट होगी. जैसे दोनों गुट चाहें तो शिवसेना राष्ट्रीय ,शिवसेना महाराष्ट्र ,शिवसेना बालासाहेब’जैसे नामों में से कोई एक चुन सकते हैं. चुनाव आयोग के इस फैसले से उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका लगा है. क्योंकि अंधेरी विधानसभा उपचुनाव में ठाकरे गुट ने अपना उम्मीदवार खड़ा किया है. शिंदे गुट के लिए यह झटका इसलिए नहीं कहा जा सकता क्योंकि शिंदे गुट ने अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं किया है. शिंदे गुट बीजेपी के उम्मीदवार को सपोर्ट करेगा.

ठाकरे गुट को लगी ठोकर, प्रतिक्रियाएं आने लगीं खुलकर
इस फैसले पर ठाकरे गुट की ओर से खुल कर प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं. आदित्य ठाकरे ने ट्वीट कर चुनाव आयोग पर तो कुछ नहीं कहा है लेकिन इस हालात के लिए शिंदे गुट को जिम्मेदार ठहराया है. आदित्य ठाकरे ने शिंदे गुट के लिए नीच और निर्लज्ज जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया है. आदित्य ठाकरे ने अपने ट्वीट में लिखा है कि खोखेवालों और गद्दारों ने आज यह मोड़ दिखाया है. जनता इस नीच और निर्लज्ज कामों को देख रही है. वह उन्हें कभी माफ नहीं करेगी. सत्य हमारे साथ है. जीत हमारी होगी.
ED,CBI के बाद अब EC राह भटक गई’
शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने तो चुनाव आयोग के फैसले पर सवाल उठा दिया. उन्होंने कहा कि देश अब तानाशाही की दिशा में चल पड़ा है. इंदिरा गांधी ने तो खुल कर इमरजेंसी लगाई थी. आज अघोषित इमरजेंसी लगी है. चुनाव आयोग ने कागजात को देखने-पढ़ने तक की जहमत नहीं उठाई और चार घंटे की मीटिंग करके चुनाव चिन्ह फ्रीज करने का फैसला सुना दिया. हजारों शिवसैनिकों ने फॉर्म भरे, पहुंचाए, सब व्यर्थ गए. ईडी और सीबीआई के बाद अब चुनाव आयोग भी राह भटक गया है.
ठाकरे गुट की एक और नेता सुषमा अंधारे ने कहा कि पीएम मोदी जी, अमित शाह जी, देवेंद्र फडणवीस जी आप जीत गए. आपकी कुटिल राजनीति जीत गई. लेकिन एकनाथ शिंदे नहीं जीते. वे तो बस एक टूल हैं, आपका मकसद पूरा करने के लिए. लेकिन जब अंधेरा घना होता है, रौशनी तभी फूटती है.

मातोश्री में 12 बजे ठाकरे, वर्षा बंगले में शाम 7 बजे शिंदे गुट की मीटिंग:
कल दोपहर 12 बजे आगे की रणनीति के लिए ठाकरे गुट की मातोश्री बंगले में मीटिंग बुलाई गई है. शिंदे गुट ने भी अपने नेताओं के सभी कार्यक्रम और दौरे कैंसिल कर दिए हैं. शिंदे गुट की शाम 7 बजे मीटिंग बुलाई गई है. नए चुनाव चिन्ह और नाम रखे जाने पर चर्चा हो सकती है.
ठाकरे गुट सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगा, इसकी संभावना इसलिए कम:

अब जो सवाल उठता है वो यह कि क्या ठाकरे गुट कल की मीटिंग में चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने का फैसला करेगा? इसकी संभावना कम है और अगर ऐसा फैसला किया भी जाता है तो ठाकरे गुट सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर रहेगा, इसकी संभावना लगभग शून्य है. इसकी वजह यह है कि अंधेरी विधानसभा उपचुनाव की वोटिंग 3 नवंबर को है. ऐसे में अगर चुनाव आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करने का निर्णय लिया जाता है तो सुप्रीम कोर्ट में इसकी सुनवाई और फैसला वक्त में आ पाने की उम्मीद बहुत कम है. और अगर सुप्रीम कोर्ट किसी तरह जल्दी फैसला दे भी देता है, तो भी कंफ्यूजन और भागमभाग और बढ़ेगी, तब तक वोटिंग का समय आ जाएगा. ऐसे में ज्यादा संभावना यही है कि सोमवार को ठाकरे गुट नए चुनाव चिन्ह को पाने में अपनी एनर्जी खपाएगा और नए चुनाव चिन्ह को लेकर चुनाव जीतने में ताकत झोंकेगा.
शिंदे गुट ने किया है खुद को असली शिवसेना होने का दावा:
बता दें कि शिंदे गुट ने लोकसभा और राज्य विधानसभा के अधिकतर पार्टी सदस्यों के समर्थन का हवाला देते हुए खुद को ‘असली शिवसेना’ होने का दावा किया है। शिंदे गुट द्वारा ‘तीर धनुष’ चुनाव चिह्न पर नये दावे को ठाकरे खेमा को इसके इस्तेमाल से बेदखल करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। ठाकरे गुट ने 3 नवंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए विधायक रमेश लटके की पत्नी रुतुजा लटके को मैदान में उतारने का फैसला किया है। शिंदे खेमे की सहयोगी भाजपा ने रमेश लटके के निधन के कारण हो रहे उपचुनाव के लिए बृहन्मुंबई महानगर पालिका पार्षद मुरजी पटेल को मैदान में उतारने का फैसला किया है।

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