Chhath Puja 2022: सुल्तानपुर जिला से पूर्व लम्भुआ विधानसभा क्षेत्र के सरकारी अस्पताल के पीछे नगर पंचायत गोसाई का पूरा वैसे यह पूजा बिहार में मान्य जाता है पर 1890 के पहले चार (झा) परिवार बिहार से आए और यह बस गए उनकी की 7 पीढी यह छठ पूजा अर्चना करती आ रही है अभी भी उन्ही परिवार से बढ़ा कर अब कई परिवार हो गए है जो उन्ही की पीढ़ियों मे से है ।
आस्था विश्वास के साथ यह दीवाली के छठे दिन यह पूजा करते है छ्ठी माता को सुर्य देव की बहन माना जाता है ।
लोक आस्था के महापर्व छठ की धूम पूरी दुनिया में देखने को मिली. चार दिन तक चलनेवाले इस महापर्व का आज चौथा दिन है और व्रती सहित सभी श्रद्धालु आज उदितमान सूर्य को अर्घ्य देने छठ घाटों पर जुट गए हैं.
आस्था का महापर्व छठ के चार दिवसीय इस अनुष्ठान के तीसरे दिन यानी 30 अक्टूबर को भगवान भास्कर को संध्या में पहला अर्घ्य अर्पित किया गया, जबकि 31 अक्टूबर को छठ व्रती सूर्योदय के समय भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया . जिसके बाद पारण के साथ छठ महापर्व का समापन किया गया ।
उगते सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व
छठ पूजा का अंतिम और आखिरी दिन ऊषा अर्घ्य होता है. इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. जिसके बाद छठ के व्रत का पारण किया जाता है. इस दिन व्रती महिलाएं सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर उदितनारायण सूर्य को अर्घ्य देती हैं और सूर्य भगवान और छठी मैया से संतान की रक्षा और परिवार की सुख-शांति की कामना करती हैं. इस पूजा के बाद व्रती कच्चे दूध, जल और प्रसाद से व्रत का पारण करती हैं।
क्यों दी जाती है डूबसे सूर्य को अर्घ्य
ऐसी मान्यता है कि शाम के समय सूर्य देवता अपनी अर्धांगिनी देवी प्रत्युषा के साथ समय बिताते हैं. यही कारण है कि छठ पूजा में शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है।
2023 में कार्तिक छठ कब
17 नवंबर 2023, शुक्रवार – नहाय-खाय
18 नवंबर 2023, शनिवार – खरना
19 नवंबर 2023 रविवार (संध्या अर्घ्य) सूर्यास्त का समय : सोमवार – डूबते सूर्य का अर्घ्य
20 नवंबर 2023 सोमवार (उषा अर्घ्य) सूर्योदय का समय – उगते सूर्य का अर्घ्य
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