मुंबई. शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट महाविकास आघाड़ी के साथ गठबंधन में रहते हुए बाबासाहेब आंबेडकर के पौत्र प्रकाश आंबेडकर की पार्टी वंचित बहुजन आघाड़ी के साथ अलग से गठबंधन में बंध गए. (Shiv Sena, VBA who will get advantage in the alliance) शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे और वंचित बहुजन आघाड़ी के अध्यक्ष ने इस गठबंधन की घोषणा की. आइये जानते हैं कि दोनों दलों में शिवसेना -वंचित गठबंधन में से कौन लाभ की स्थिति में रहेगा.
मुंबई महानगरपालिका में शिवसेना पिछले 30 सालों से एक क्षत्र राज करती रही है. कहा जाता है कि एशिया की सबसे समृद्धशाली महानगरपालिका में शिवसेना की जान बसती है. 25 साल भाजपा के साथ युति कर शिवसेना बीएमसी की सत्ता में रही. युति टूटने के बाद शिवसेना, महाविकास आघाड़ी के अंदरूनी सहयोग से सत्ता को बरकरार रखा. पिछले डेढ़ साल से बीएमसी प्रशासक के हवाले है.
शिवसेना में विभाजन के बाद अपने बूते पर बीएमसी की सत्ता में दोबारा लौटने में शिवसेना को संशय लग रहा है. राज्य में सत्ता परिवर्तन और भाजपा की बढ़ती ताकत से शिवसेना उद्धव गुट परेशान है. शिंदे के भाजपा के साथ गठबंधन में जाने से निश्चित रूप से मुंबई में शिवसेना कमजोर हुई है. इसलिए महाविकास आघाड़ी दलों के अलावा वंचित बहुजन आघाड़ी के साथ गठबंधन में बंधी है.
भारिप बहुजन महासंघ का बदला नाम
मुंबई मनपा की बात करें तो इस गठबंधन से शिवसेना से ज्यादा वंचित बहुजन आघाड़ी को फायदा होगा. वर्ष 2017 में हुए चुनाव में प्रकाश आंबेडकर की पार्टी भारिप बहुजन महासंघ चुनाव लड़ी थी. जिसका बाद में नाम बदल कर वंचित बहुजन आघाड़ी कर दिया गया. इस पार्टी का मुंबई में जनाधार बहुत कम है. बीएमसी की 227 सीटों में से पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी थी.
मुंबई में भारिप को मिले कुल वोट
मुंबई महानगरपालिका का पिछला चुनाव सभी दल अकेले लड़े थे. प्रकाश आंबेडकर की पार्टी भारिप बहुजन महासंघ (वंचित बहुजन आघाड़ी) ने कुल 46 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे थे. इनमें ज्यादातर उम्मीदवार उन्होंने वार्डों में खड़े हुए थे जहां बौद्ध, दलित वोटर की संख्या अधिक है. भारिप बहुजन महासंघ को मुंबई में कुल 33,284 वोट मिले थे. 46 सीटों में से 4 सीट को छोड़ कर सब जगह जमानत जब्त हो गई थी. भारिप के 7 उम्मीदवार एक हजार का आंकड़ा पार कर पाए थे. चार उम्मीदवार 2000 वोट के आंकड़े को पार किया. तीन उम्मीदवारों को 3000 से अधिक वोट मिले. वार्ड क्रमांक 139 से भारिप के उम्मीदवार अरुण विश्वनाथ कांबले को सर्वाधिक 3913 वोट मिले. वार्ड क्रमांक 140 में सुरेखा धायगुडे 3848 वोट, वार्ड 152 में विशाल भगवान दास मोरे 3148 वोट और वार्ड 155 में प्रवीण परमेश्वर पोल 2954 वोट प्राप्त करने में सफल रहे. कहा जाए तो मुंबई के इन 4 वार्डो में ही वंचित शिवसेना प्रभावी साबित हो सकता है. इसके अलावा मुंबई में शिवसेना को वंचित से कोई लाभ नहीं मिलने वाला.
मविआ के साथ लड़ने से पलट सकता है पाशा
भाजपा और शिवसेना शिंदे गुट को पराजित करने के लिए केवल वंचित बहुजन आघाड़ी और शिवसेना यूबीटी गठबंधन काफी नहीं होगा. कांग्रेस पहले ही मुंबई मनपा चुनाव अलग लड़ने की बात कर रही है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की ताकत मुंबई में उतनी नहीं है. शरद पवार और प्रकाश आंबेडकर के बीच राजनीतिक विद्वेष जगजाहिर है. फिर भी यदि राजनीति में सभी चार दल मिल कर चुनाव लड़ते हैं तो ही मुंबई की सत्ता में वापसी हो सकती है. वरना इस नये गठबंधन से वंचित को ही लाभ होगा, शिवसेना को नहीं, यह अलग बात है कि विदर्भ में वंचित का लाभ शिवसेना को मिल सकता है.
👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇
Subscribe to jagruti samachar YouTube Channel
Visit Jaagruti samachar website
Follow us on Facebook
Follow us o twitter
Follow us on Instagram